भारत ह्रदय ...भारती कंठ गोसाईं तुलसीदास जी के प्रति
बेनी कवि का उदगार मन को छू गया
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बेदमत सोधि,सोधि-सोधि कै पुरान सबै
संत और असंतन को भेद को बतावतो।
कपटी कुराही क्रूर कलि के कुचाली जीव
कौन राम नामहु की चर्चा चालवतो।।
बेनी कबि कहै मानो-मानो यह प्रतीति यह
पाहन-हिए मैं कौन प्रेम उपजावतो।
भारी भवसागर उतारतो कवन पार
जो पै यह रामायण तुलसी न गावतो।।
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शुक्रवार, 8 अगस्त 2008
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3 टिप्पणियां:
एक कवि की अति सुंदर श्रद्धांजलि एक संत कवि को.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की ढेरों शुभकामनाएं |
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लम्बे अंतराल के बाद आज तत्सम शब्दावली युक्त कविता पढने को मिली, बहुत सुन्दर।
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