सोमवार, 26 मई 2008

जैन सूत्र / अमृता प्रीतम

दुनिया में एकमात्र रचना है,
जो एक लम्बी खामोशी से तरंगित हुई थी ...
ओशो बताते हैं कि महावीर बरसों खामोश रहे।
कोई सूत्र उन्होंने लिख-बोलकर नहीं बताया,
पर उनके ग्यारह शिष्य हमेशा उनके क़रीब रहते थे।
उन्होंने महावीर जी की खामोशी को तरंगित होते
हुए देखाऔर उसमें से जो अपने भीतर सुना,
अकेले-अकेले वह एक जैसा था।
ग्यारह शिष्यों ने जो सुना वह एक जैसा था।
उन्होंने वही कलमबद्ध किया और उसी का नाम जैन सूत्र है।
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'स्मरण गाथा' से

1 टिप्पणी:

शोभा ने कहा…

आप सही कह रहे हैं । मौन भी एक भाषा है किन्तु यह भीतरी आनन्द हर किसी को नसीब नहीं होता। आपका स्वागत है।