शनिवार, 28 जून 2008

विचारणीय / प्रभाष जोशी

पहले जहाँ लिखा था : 'बीवेर, नैरो ब्रिज अहेड',
अब वहाँ आ गया है : 'सावधान, पुलिया संकीर्ण है।'
उस पुल से गुजरने वाले बहुतेरे लोगों के लिए
'सावधान, पुलिया संकीर्ण है' भी उतना ही अंग्रेजी
जितना कि 'नैरो ब्रिज अहेड' था। अगर अंग्रेजी की
ज़गह हिन्दी इसलिए लिखी गई कि लोग पुल से
गुज़रने के पहले जान लें कि वह संकरा है तो यह
इरादा पूरा नहीं हुआ है। हिन्दी ने अंग्रेजी को सिर्फ़
हटाया है।हिन्दी के जन संचार की प्रभावी भाषा न
बन पाने के पीछे सबसे बड़ा कारण हिन्दी और
अंग्रेजी वालों की यह हटाने की मानसिकता है।
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'मसि कागद' में सावधान,पुलिया संकीर्ण है ! शीर्षक लेख से.

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