दुष्कर्म पर नियंत्रण संभव
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
हाल के वर्षों में विकसित देशों की तो क्या कहें भारत जैसी शिष्ट और संस्कृति जीवी कही जाने वाली सरज़मी पर जिस कदर अनाचार-दुराचार, दुष्कर्म और अपकर्म के गहरे निशान अंकित हुए हैं, उनसे सिर शर्म से झुक जाना और मन का आक्रोश में उबल पड़ना स्वाभाविक है .मन बार-बार कह उठता है कि आखिर ये सब क्या हो रहा है, क्यों हो रहा और कब व कहाँ जाकर ये सिलसिला थमेगा ? देश की राजधानी दिल्ली मात्र में अभी के चंद सालों में कोई 560 बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं। महिला उत्पीड़न के अनेक ऐसे रूप भी हैं जो खामोशी में ही दबे रह जाते हैं लेकिन, जिन्हें रैप जैसी ज्यादती से कम नहीं आंका जा सकता। बहरहाल मौजूदा दौर की कुछ घटनाओं पर गौर कीजिए।
मुंबई के परेल इलाके में 22 साल की महिला फोटोग्राफर के साथ गैंग रेप की घटना सामने आई है। पहले तो लड़की के दोस्त की पिटाई की और फिर उसे बंधक बनाकर लड़की को अपनी हवस का शिकार बनाया गया । एक इंग्लिश मैगजीन में इंटर्नशिप कर रही यह लड़की एक असाइनमेंट के सिलसिले में महालक्ष्मी एरिया के रेलवे ट्रैक्स के करीब एक मिल में फोटोग्राफी करने गई थी। इस दौरान उसके साथ उसका दोस्त भी था। इस बीच पांच लोग वहां पहुंचे और उन दोनों को धमकाने लगे। तीनों ने लड़की से दुष्कर्म किया और वहां भाग निकले।
इसी तरह पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार इलाके में रहने वाली एक युवती को एक युवक ने नोएडा में बंधक बनाकर रखा। वहां उसने अपने दो दोस्तों संग मिलकर कई दिनों तक युवती को अपनी हवस का शिकार बनाया और बाद में उसे मेट्रो स्टेशन के पास छोड़कर चले गए। यहां से किसी तरह लड़की अपने घर पहुंची। इसके बाद परिजन लड़की को लेकर थाने गए। पुलिस ने पीड़ित लड़की का मेडिकल कराया। रेप की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने अपहरण करने, बंधक बनाकर रखने, गैंग रेप और धमकी की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली। आगे क्या हुआ अब तक कोई खबर नहीं है।
20 साल एक अन्य लड़की नोएडा के एक कॉल सेंटर में काम करती है। पीड़ित युवती द्वारा पुलिस को दी गई जानकारी के अनुसार करीब 6 महीने पहले ऑफिस के फोन से ऐसे ही कॉल करते हुए उसकी एक लड़के से दोस्ती हो गई। इसके बाद लड़की ने लड़के को अपना पर्सनल मोबाइल नंबर भी दे दिया। दोस्ती डेटिंग में बदलने लगी, जिसका बाद में ये हश्र होगा उसने कभी सोचा भी सोचा भी नहीं था।
इन घटनाओं की फेहरिस्त इस आगे दिल जिस तरह लम्बी होती जा रही है इससे जाने-अनजाने में मानवता के मुख पर जड़ा मुखौटा स्वयं उतरने लगता है। जोर जबरदस्ती के शिकार हुए व्यक्ति की अनुभूति ही बता सकती है कि अनाचार-दुराचार करने वाले इन दुर्दांत लोगों का क्या हश्र होना चाहिए। लेकिन, बहुतेरे लोग जो या तो इन घटनाओं के मूक दर्शक हैं या फिर कोरी सहानुभूति के व्यावसायिक अंदाज़ के आदी हो गए हैं, उनसे ज्यादा उम्मीद करना बेकार है .किसी के निजीपन में किसी भी स्तर दखल वैसे भी एक संगीन मामला होता है। इसकी पीड़ा को एकबारगी बाहर से देखकर समझना संभव नहीं है .
इस सन्दर्भ में एक मनोवैज्ञानिक तथ्य भी उल्लेखनीय है कि बलात्कार के कई मामलों में आक्रमणकर्ता अपनी शक्ति और आधिपत्य की अपनी लालसा को भी तुष्ट करना चाहता है। देखा जाए तो वह भीतर से कमजोर और भयभीत भी रहता है, किन्तु इन्हीं अभावों को छुपाने की गरज में वह दुष्कर्म की राह पर चल पड़ता है। लिहाजा ये घटनाएं मानवीय कमजोरियों के साथ-साथ सामजिक व्यवस्था पर भी विचार करने के लिए बाध्य करती हैं . लेकिन, जागरूक लोगों का मानना कि केवल इस आधार पर दुराचार को खुली छूट नही दी जा सकती, बल्कि पीड़ित पक्ष को किसी न किसी तरह उसे उजागर करना चाहिए क्योंकि इसके लिए सख्त क़ानून भी तो है .
यह भी कि दुराचार पीड़ित कोई भी महिला अक्सर महिला थाने में या ऐसे थाने में जहां कोई महिला पुलिस अधिकारी हो अपनी शिकायत या फ़रियाद लेकर जाना चाहती है,किन्तु बहुत से अवसरों पर ऐसा न हो पाने के कारण वह पीछे हट जाती है . लिहाजा, जरूरत इस बात की है कि महिला पुलिस की तादात बढ़ाई जाये। दुसरे, उपलब्ध स्टाफ की सक्रियता और हस्तक्षेप बढ़ने से भी हालात सुधर सकते हैं। अशिष्ट और असभ्य परिधानों पर रोक लगाना भी समय की मांग है, जिसे गलत करार नहीं दिया जा सकता . ऐसे अनेक अन्य उपाय सुझाए जा सकते हैं, फिर भी कहना न होगा कि नागरिक सुरक्षा और अधिकारों के प्रति जागरूकता, जीवन में सादगी और शालीनता के साथ सजग वातावरण निर्मित कर इन हालातों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। वहीं, भारतीय संस्कृति के मानक - मूल्यों की सीख और समझ के साथ उनके अमल से भी स्थिति सुधर सकती है।
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