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कवि कुल किरीट गोस्वामी तुलसीदास जी की जयन्ती पर
उनके दिव्य योगदान को नमन करते हुए स्मरण स्वरूप ही
यहाँ उनकी प्रमुख कृतियों का सारभूत परिचय प्रस्तुत है.
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१ रामलला नहछू
बारात के पहले लग्न मंडप में माँ, वर को नहला धुलाकर
गोद में लेकर बैठती है और नाइन पैर के नखों को महावर
के रंग से रंगती है, इस रीत को नहछू कहते हैं। सोहर छंद में
लिखी गई इस रचना की भाषा पूर्वी अवधी है।
२ वैराग्य-संदीपनी
दोहों में लिखी गई इस रचना में सदाचार, सत्संग, वैराग्य
इत्यादि के माध्यम से भक्ति का मार्ग बताया गया है।भाषा
अवधी है।
३ बरवै रामायण
सात कांडों में विभाजित यह रचना राम कथा से संबंधित है।
बरवै छंद मुक्तक रूप में प्रयुक्त है। भाषा अवधी है।
४ पार्वती-मंगल
जगदम्बा पार्वती की तपस्या, शिव-पार्वती विवाह,बारात,विदाई
इत्यादि प्रसंगों का सुंदर वर्णन। मंगल और हरि गीतिका छंदों
का प्रयोग किया गया है। कथा, कुमार सम्भव पर आधारित है।
भाषा पूरबी अवधी है।
५ जानकी-मंगल
जानकी जी के विवाह का वर्णन है। स्वयंवर प्रसंग से अयोध्या
में आनंदोत्सव तक विस्तृत है। वाल्मीकि रामायण का प्रभाव।
इसकी भाषा भी अवधी है।
६ रामाज्ञा-प्रश्न
इसमें सात सर्ग हैं। प्रत्येक सर्ग में सात सप्तक हैं। प्रत्येक सप्तक
में सात दोहे हैं। प्रारंभ में शकुन -विचार विधि का उल्लेख है।
भाषा अवधी है।
७ दोहावली
शुद्ध मुक्तक रचना। समाज,धर्म,व्यक्ति,भक्ति,राजनीति,ज्योतिष,
आचार-व्यवहार,राज्य-आदर्श इत्यादि विषयों पर दोहे रचे गए हैं।
भाषा अवधी है।
८ कवितावली
इसमें कवित्त,घनाक्षरी,छप्पय,सवैया आदि छंदों का समावेश है।
सात कांड है। ब्रज भाषा है।
९ हनुमान बाहुक
कवितावली का एक अंश। बाहु पीड़ा और अन्य पीड़ाओं का
निवेदन हनुमान जी तथा अन्य देवताओं से किया गया है। भाषा
अवधी है।
१० कृष्ण-गीतावली
श्री कृष्ण के जीवन से संबंधित पद हैं। भाषा ब्रज है।
११ विनय-पत्रिका
राग-रागिनियों पर आधारित गीति काव्य है। भाषा ब्रज है।
१२ रामचरितमानस
सात कांडों में विभक्त है। दोहे,चौपाई,सोरठा तथा विभिन्न
मात्रिक एवं वार्णिक छंदों का उपयोग किया गया है। भाषा
भाषा पूर्वी-पंचोही अवधी.
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