शुक्रवार, 10 अप्रैल 2009

दोहे रहीम के...बातें पते की.


रहिमन वे नर मर चुके, जो कहुं मांगन जाहिं।
उनते पहिले वे मुए, जिन मुख निकसत नाहिं।।
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रहिमन यहि संसार में, सब सो मिलिए धाई।
ना जाने केहि रूप में, नारायण मिलि जाई।।
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रहिमन तब तक ठहिरए, मान मान सम्मान।
घटत मान देखिय जबहिं, तुरतहि करिय पयान।।
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जो रहीम उत्तम प्रकृति,का करि सकत कुसंग।
चंदन विष व्यापत नहीं, लपटे रहत भुजंग।।
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3 टिप्‍पणियां:

Smart Indian ने कहा…

धन्यवाद!

SHREE BALAJI ने कहा…

achha he. dohe uplod karte rahiye or hum log padte rahenge. thanks

Udan Tashtari ने कहा…

मौके से लाये हैं...